कहानी संदीप की
डिग्री ख़तम करने के बाद सब दोस्त नाम के वास्ते दोस्त बन गए। हर कोई अपने अपने पर्सनल लाइफ के सेटलमेंट में बीजी था। लेकिन संदीप को सिर्फ उसकी चिंता लगी थी। उसकी बड़ी चिंता यह थी कि "वह कैसी है? वह क्या कर रही है?"। कॉलेज में रहते वक्त भी वह उसी की चिंता में रहता था। वह अभी भी उसकी चिंता में ही है। वह उसके हर शब्द से प्रभावित था।
वह उसके प्यारी सी शकल को पागल हो गया था। वह हमेशा उसके लिए तरसता था। वह हमेशा उसके साथ समय बिताने के बारे में सोचता था और उसके बारे में नीले सपने देखता था। कॉलेज में, उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार के सर्कस करके खुद का मजाक उड़ा लेता था।चाहे कौन कुछ भी कहे संदीप को कोई परक नहीं पड़ता था। उसके लिए केवल वह लड़की महत्वपूर्ण थी। उसे उसका प्यार चाहिए था। इसलिए उसने दोस्ती के मुखौटा पहन के उसके करीब जाने के लिए कोशिश कीया।
लेकिन उसके पागलपन भरे प्रयासों से कोई फल नहीं मिला। फिर वह उदास हुआ और दूसरे लड़कियों को पटाने के लिए नएनए प्रयास किया। दूसरे लड़कियां उसके जाल में नहीं पड़े। लेकिन उसकी पुरानी लड़की उसके जाल में अपने आप आकर पड़ी। वह दूसरे लड़कियों के जलसी के कारण संदीप के जाल में फंस गई। वह उनके क्लास के एकलौती मास लड़की थी।
पूरे कॉलेज में, उसकी हंसी की आवाज सुनाई देती थी। जैसे ही वह शर्म से चलती थी, तो उसके पायल के आवाज से लड़कों के दिल में गूँज उठती थी। ऐसी रूपसी संदीप के दोस्ती के जाल में फंस गई थी जिसके पीछे प्यार का परदा था। दो साल से कोई गर्लफ्रेंड न मिलने के कारण संदीप की कॉलेज लाइफ एक वनवास की तरह चल रही थी।
आख़िरकार संदीप का वनवास उस लड़की से अंत हुआ जो लड़की दूसरे लड़कियों की जलसी के कारण संदीप के जाल में फंस गई थी। उसकी जैसी खूबसूरत लड़की मेरी सहेली है, इस दंभ में वह और ज्यादा उड़ने लगा और दूसरे लड़कों की पेट में आग डालने के लिए उसके साथ बहुत क्लोज सहेली के गाल को फिर से काट दिया। उसकी बिना अनुमति की चुंबन को विरोध करने की वीरता उसमें नहीं थी।
वह आंख बंद करके चुपचाप उसकी सहायता की। चार चुंबन से आगे जाने की हिम्मत संदीप में भी नहीं थी। शाम तक, उसका प्रेम प्रणय सब सिर्फ चुंबन में ही समाप्त हुआ।
संदीप के नकली दोस्ती में उसका गुप्त प्यार खुलने लगा। जब भी वह उसे बुलाता था तब वह आने के लिए हमेशा तैयार रहती थी। वह संदीप के प्रेम प्रणय चुंबन इत्यादि को पूरी तरह से साथ देती थी। लेकिन उसकी घरवालों ने शादी के पाश से उसकी स्वतंत्रता को पूरी तरह से छीन लीया ।
वह आखरी बार संदीप को एक एकांत स्थल पर मिली और उसकी दोस्ती को ख़तम करी । वह शादी करके अपने पति के घर जाने के बाद संदीप को पता चला कि क्यों वह उस दिन एकांत में अकेली मिली थी और गले लगाकर बिना कुछ बोले गाल काटकर पीछे मुडके देखे बिना रोते गई।
अब संदीप के गाल पर आंसू के बूंदे बह रहे थे जहाँ उसकी प्रेयसी आखरी बार उसे किस करी थी। संदीप अपने प्यार को उसके सामने व्यक्त करने के बारे में सोच रहा था। इतने में वह दूसरों की प्रॉपर्टी बन गई थी। वह दो तीन महीनों तक उसकी यादों में रोया, चिल्लाया और बुरा महसूस करा। लेकिन वह उसको और उसकी मीठी यादों को भूल नहीं पाया।
उसने आखरी बार उसे दी गई चुंबन को बारबार याद करके वह उसके नीले सपनों का दास बन गया।